आपमें और मुझमें
कई परतो की दूरी सी है.
कुछ रेशम के धागो सी
तो कुछ रंगीन शामों की.
वो ग़लती से मेरा तुझको छू देना
ग़लती तो शायद ही थी!
तेरा मुस्कुराना भर ही काफ़ी था
धड़कनो को बे-लगाम करने के लिए.
उन हवाओ संग बहते हुए
मेरी ज़ुल्फो में कुछ तमन्नाए सी थी.
कुछ सैलाब सा था जो
गरज बरस के इंतेज़ार में बंजर सा रो रहा था.
तू आता है तो एक
सुकून सा महसूस होता है.
तू जाता है तो भी
सुकून सा ही महसूस होता है.
रूह को शायद
तेरे होने भर से ही...
एक लगाव सा कुछ हो गया है.
कई परतो की दूरी सी है.
कुछ रेशम के धागो सी
तो कुछ रंगीन शामों की.
वो ग़लती से मेरा तुझको छू देना
ग़लती तो शायद ही थी!
तेरा मुस्कुराना भर ही काफ़ी था
धड़कनो को बे-लगाम करने के लिए.
उन हवाओ संग बहते हुए
मेरी ज़ुल्फो में कुछ तमन्नाए सी थी.
कुछ सैलाब सा था जो
गरज बरस के इंतेज़ार में बंजर सा रो रहा था.
तू आता है तो एक
सुकून सा महसूस होता है.
तू जाता है तो भी
सुकून सा ही महसूस होता है.
रूह को शायद
तेरे होने भर से ही...
एक लगाव सा कुछ हो गया है.
Just wow babes! I am speechless. Awesome poetry dear, I fell in love with each and every word there. You should write in hindi more often:)
ReplyDeleteAnd, needless to say, the special someone is really really lucky to have you <3 :)
It sounds something sweet! Thanks to Google translate... it helped to read u r Hindi poem.
ReplyDeleteIts amazing how someone's presence and absence give us a sense of sukoon .. in the latter, probably because we know that their re arrival will only bring us joy, and there's a beautiful emptiness in their absence. I loved this .. esp kahi parton ki doori ... makes you nostalgic
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